Friday, November 1, 2013

ज़बाँ से गर किया भी वादा तूने, तो यक़ीं किसको
निगाहें साफ़ कहती हैं कि देखो यूँ मुकरते हैं
-दाग़

तसल्ली ख़ाक़ हो वादों से उनके, चितवनें उनकी
इशारों से यूँ कहती हैं, कि देखो यूँ मुकरते हैं
-अमीर मीनाई

No comments:

Post a Comment