मुझको जब ऊँचाई दे
मुझको ज़मीं दिखाई दे
एक सदा ऐसी भी हो
मुझको साफ़ सुनाई दे
दूर रहूँ मैं खुद से भी
मुझको वो तनहाई दे
एक ख़ुदी भी मुझमें हो
मुझको अगर ख़ुदाई दे
-विज्ञान व्रत
मुझको ज़मीं दिखाई दे
एक सदा ऐसी भी हो
मुझको साफ़ सुनाई दे
दूर रहूँ मैं खुद से भी
मुझको वो तनहाई दे
एक ख़ुदी भी मुझमें हो
मुझको अगर ख़ुदाई दे
-विज्ञान व्रत
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