Monday, March 3, 2014

हमने उनके सामने पहले तो खंजर रख दिया
फिर कलेजा रख दिया, दिल रख दिया, सर रख दिया

क़तरा-ए-खून-ए-जिगर सी, की तवज्जोह इश्क़ की
सामने मेहमान के जो था मयस्सर रख दिया

[(तवज्जोह = गौर करना, ध्यान देना), (मयस्सर = प्राप्त, उपलब्ध)]

ज़िन्दगी में तो कभी दम भर न होते थे जुदा
कब्र में तन्हा मुझे यारों क्यूँकर रख दिया

देखिये अब ठोकरें खाती है किस किस की नागाह
रोज़ान-ए-दीवार में ज़ालिम ने पत्थर रख दिया

[(नागाह = सहसा, अचानक, एकाएक), (रोज़ान-ए-दीवार = दीवार का छेद)]

ज़ुल्फ़ खाली, हाथ खाली, किस जगह ढूँढें इसे
तुम ने दिल लेकर कहाँ, ऐ बंदापरवर, रख दिया ?

कहते हैं बू-ए-वफ़ा आती है इन फूलों से आज
दिल जो हमने लाला-ओ-गुल में मिलाकर रख दिया

(लाला-ओ-गुल = ट्यूलिप और गुलाब)

-दाग़ देहलवी






1 comment:

  1. Beautifully written.. but the moods of writer and singer are entirely different ..

    ReplyDelete