Monday, April 21, 2014

उम्र सफ़र में गुज़री लेकिन शौके-सियाह्त बाकी है
कोई मुसाफ़त खत्म हुई है कोई मुसाफ़त बाकी है

(शौके-सियाह्त = यात्रा की इच्छा), (मुसाफ़त = दूरी, अंतर)

ऐसे बहुत से रस्ते हैं जो रोज़ पुकारा करते हैं
कई मनाज़िल सर करने की अब तक चाहत बाकी है

[(मनाज़िल = मंज़िल का बहुवचन, बहुत सारी मंज़िलें), (सर = जीतना)]

एक सितारा हाथ पकड़ कर दूर कहीं ले जाता है
रोज़ गगन में खो जाने की अबतक आदत बाकी है

चश्मे-बसीरत कुछ तो बता दे कब वो लम्हे आयेंगे
जिन की खातिर इन आँखों में इतनी बसारत बाकी है

[(चश्मे-बसीरत = ज्ञानचक्षु), (बसारत = देखने की शक्ति, दृष्टि)]

ख़त्म कहानी हो जाती तो नींद मुझे भी आ जाती
कोई फ़साना भूल गया हूँ कोई हिकायत बाकी है

[(फ़साना =  मन से गढ़ा हुआ किस्सा), (हिकायत = कहानी, किस्सा)]

दुनिया के ग़म फ़ुर्सत दें तो दिल के तक़ाज़े पूरे हों
कूचा-ए-जानां! तेरी भी तो सैर-ओ-सियाहत बाकी है

[(कूचा-ए-जानां = प्रेमिका की गली), (सियाहत = यात्रा)]

शहरे-तमन्ना! बाज़ आया मैं तेरे नाज़ उठाने से
एक शिकायत दूर करूँ तो एक शिकायत बाक़ी है

(शहरे-तमन्ना = कामना/ इच्छा/ ख़्वाहिश रखने वालों की बस्ती)

एक जरा सी उम्र में 'आलम ' कहाँ कहाँ की सैर करूँ
जाने मेरे हिस्से में अब कितनी मुहलत बाकी है

(मुहलत = अवकाश, फ़ुर्सत)

-आलम खुर्शीद

2 comments:

  1. एक सितारा हाथ ...........
    बहुत ही बढ़िया जोशीजी

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  2. ऐसे बहुत से रस्ते.......
    Tooo gooooooooood

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