तेरा ही तो हिस्सा हूँ
ये तू जाने कितना हूँ
अपने हाथों हारा हूँ
वरना किसके बस का हूँ
ख़ुद को ही खो बैठा हूँ
मैं अब क्या खो सकता हूँ
जब से अपने जैसा हूँ
सब कहते हैं, धोखा हूँ
आमादा हूँ जीने पर
और अभी तक ज़िंदा हूँ!
-विज्ञान व्रत
ये तू जाने कितना हूँ
अपने हाथों हारा हूँ
वरना किसके बस का हूँ
ख़ुद को ही खो बैठा हूँ
मैं अब क्या खो सकता हूँ
जब से अपने जैसा हूँ
सब कहते हैं, धोखा हूँ
आमादा हूँ जीने पर
और अभी तक ज़िंदा हूँ!
-विज्ञान व्रत
Nice lines......
ReplyDeleteGood selection joshiji