रात भी, नींद भी, कहानी भी
हाय, क्या चीज़ है जवानी भी
एक पैग़ाम-ए-ज़िन्दगानी भी
आशिक़ी मर्गे-नागहानी भी
[(पैग़ाम-ए-ज़िन्दगानी = जीवन का सन्देश), (मर्गे-नागहानी= अचानक आने वाली मौत)]
इस अदा का तेरी जवाब नहीं
मेहरबानी भी, सरगरानी भी
(सरगरानी = गुस्सा, रोष, अप्रसन्नता)
दिल को अपने भी ग़म थे दुनिया में
कुछ बलायें थी आसमानी भी
मंसबे-दिल खुशी लुटाना है
ग़मे-पिन्हाँ की पासबानी भी
[(मंसबे-दिल = दिल का काम/ कर्तव्य/ फ़र्ज़), (ग़मे-पिन्हाँ = छिपा हुआ दुःख), (पासबानी = निरीक्षण, निगरानी)]
दिल को शोलों से करती है सेराब
ज़िन्दगी आग भी है, पानी भी
(सेराब = भीगा हुआ, पानी से सींचा हुआ)
शादकामों को ये नहीं तौफ़ीक़
दिले-गमगीं की शादमानी भी
(शादकाम= प्रसन्नचित, कामयाब), (तौफ़ीक= काबिलियत, सामर्थ्य, शक्ति), (शादमानी = खुशी)]
लाख हुस्न-ए-यकीं से बढकर है
उन निगाहों की बदगुमानी भी
तंगना-ए-दिले-मलूल में है
बहर-ए-हस्ती की बेकरानी भी
(तंगना-ए-दिले-मलूल = दुखी ह्रदय की सीमा), (बहर-ए-हस्ती = ज़िन्दगी का समन्दर), (बेकरानी = जिसका किनारा न हो, अपार, असीम)
इश्क़े-नाकाम की है परछाई
शादमानी भी, कामरानी भी
(शादमानी = खुशी), (कामरानी = कामयाबी, सफ़लता)
देख दिल के निगारखाने में
ज़ख्म-ए-पिन्हाँ की है निशानी भी
निगारखाना = (चित्रालय, सजा हुआ मकान, मूर्तिग्रह), (ज़ख्म-ए-पिन्हाँ = आंतरिक घाव)
ख़ल्क़ क्या क्या मुझे नहीं कहती
कुछ सुनूं मैं तेरी ज़ुबानी भी
(खल्क = दुनिया, सृष्टी, जगत)
आये तारीख़-ए-इश्क़ में सौ बार
मौत के दौरे- दरमियानी भी
(तारीख़-ए-इश्क़ = मोहब्बत का इतिहास)
दौर=वक्त, समय दरमियानी=बीच में
अपनी मासूमियों के परदे में
हो गई वो नज़र सयानी भी
दिन को सूरजमुखी है वो नौगुल
रात को है वो रातरानी भी
(नौगुल = नया फ़ूल)
दिले-बदनाम तेरे बारे में
लोग कहते हैं इक कहानी भी
वज़्अ करते कोई नयी दुनिया
कि ये दुनिया हुई पुरानी भी
(वज़्अ करते = बनाते)
दिल को आदाबे-बंदगी भी ना आये
कर गये लोग हुक्मरानी भी
[(आदाबे-बंदगी = सेवाभाव), (हुक्मरानी = शासन चलाना, हुकूमत करना)]
जौरे-कमकम का शुक्रिया बस है
आप की इतनी मेहरबानी भी
(जौर = कहर)
दिल में एक हूक सी उठे ऐ दोस्त
याद आई तेरी जवानी भी
सर से पा तक सुपुर्दगी की अदा
एक अन्दाजे-तुर्कमानी भी
[(पा = पांव), (सुपुर्दगी=समर्पण), (तुर्कमानी=विद्रोही)
पास रहना किसी का रात की रात
मेहमानी भी, मेज़बानी भी
जो ना अक्स-ए-जबीं-ए-नाज़ की है
दिल में इक नूर-ए-कहकशानी भी
(अक्स-ए-जबीं-ए-नाज़ = किसी प्यारे का चेहरा), (नूर = प्रकाश), (कहकशां = आकाश गंगा)
ज़िन्दगी ऐन दीद-ए-यार ’फ़िराक़’
ज़िन्दगी हिज्र की कहानी भी
[(ऐन= ठीक, सटीक, असलियत में), (दीद = दर्शन), (हिज्र = बिछोह, जुदाई)]
-फ़िराक़ गोरखपुरी
हाय, क्या चीज़ है जवानी भी
एक पैग़ाम-ए-ज़िन्दगानी भी
आशिक़ी मर्गे-नागहानी भी
[(पैग़ाम-ए-ज़िन्दगानी = जीवन का सन्देश), (मर्गे-नागहानी= अचानक आने वाली मौत)]
इस अदा का तेरी जवाब नहीं
मेहरबानी भी, सरगरानी भी
(सरगरानी = गुस्सा, रोष, अप्रसन्नता)
दिल को अपने भी ग़म थे दुनिया में
कुछ बलायें थी आसमानी भी
मंसबे-दिल खुशी लुटाना है
ग़मे-पिन्हाँ की पासबानी भी
[(मंसबे-दिल = दिल का काम/ कर्तव्य/ फ़र्ज़), (ग़मे-पिन्हाँ = छिपा हुआ दुःख), (पासबानी = निरीक्षण, निगरानी)]
दिल को शोलों से करती है सेराब
ज़िन्दगी आग भी है, पानी भी
(सेराब = भीगा हुआ, पानी से सींचा हुआ)
शादकामों को ये नहीं तौफ़ीक़
दिले-गमगीं की शादमानी भी
(शादकाम= प्रसन्नचित, कामयाब), (तौफ़ीक= काबिलियत, सामर्थ्य, शक्ति), (शादमानी = खुशी)]
लाख हुस्न-ए-यकीं से बढकर है
उन निगाहों की बदगुमानी भी
तंगना-ए-दिले-मलूल में है
बहर-ए-हस्ती की बेकरानी भी
(तंगना-ए-दिले-मलूल = दुखी ह्रदय की सीमा), (बहर-ए-हस्ती = ज़िन्दगी का समन्दर), (बेकरानी = जिसका किनारा न हो, अपार, असीम)
इश्क़े-नाकाम की है परछाई
शादमानी भी, कामरानी भी
(शादमानी = खुशी), (कामरानी = कामयाबी, सफ़लता)
देख दिल के निगारखाने में
ज़ख्म-ए-पिन्हाँ की है निशानी भी
निगारखाना = (चित्रालय, सजा हुआ मकान, मूर्तिग्रह), (ज़ख्म-ए-पिन्हाँ = आंतरिक घाव)
ख़ल्क़ क्या क्या मुझे नहीं कहती
कुछ सुनूं मैं तेरी ज़ुबानी भी
(खल्क = दुनिया, सृष्टी, जगत)
आये तारीख़-ए-इश्क़ में सौ बार
मौत के दौरे- दरमियानी भी
(तारीख़-ए-इश्क़ = मोहब्बत का इतिहास)
दौर=वक्त, समय दरमियानी=बीच में
अपनी मासूमियों के परदे में
हो गई वो नज़र सयानी भी
दिन को सूरजमुखी है वो नौगुल
रात को है वो रातरानी भी
(नौगुल = नया फ़ूल)
दिले-बदनाम तेरे बारे में
लोग कहते हैं इक कहानी भी
वज़्अ करते कोई नयी दुनिया
कि ये दुनिया हुई पुरानी भी
(वज़्अ करते = बनाते)
दिल को आदाबे-बंदगी भी ना आये
कर गये लोग हुक्मरानी भी
[(आदाबे-बंदगी = सेवाभाव), (हुक्मरानी = शासन चलाना, हुकूमत करना)]
जौरे-कमकम का शुक्रिया बस है
आप की इतनी मेहरबानी भी
(जौर = कहर)
दिल में एक हूक सी उठे ऐ दोस्त
याद आई तेरी जवानी भी
सर से पा तक सुपुर्दगी की अदा
एक अन्दाजे-तुर्कमानी भी
[(पा = पांव), (सुपुर्दगी=समर्पण), (तुर्कमानी=विद्रोही)
पास रहना किसी का रात की रात
मेहमानी भी, मेज़बानी भी
जो ना अक्स-ए-जबीं-ए-नाज़ की है
दिल में इक नूर-ए-कहकशानी भी
(अक्स-ए-जबीं-ए-नाज़ = किसी प्यारे का चेहरा), (नूर = प्रकाश), (कहकशां = आकाश गंगा)
ज़िन्दगी ऐन दीद-ए-यार ’फ़िराक़’
ज़िन्दगी हिज्र की कहानी भी
[(ऐन= ठीक, सटीक, असलियत में), (दीद = दर्शन), (हिज्र = बिछोह, जुदाई)]
-फ़िराक़ गोरखपुरी
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