बेमुनव्वर ज़िन्दगी होने लगी
दोस्तों से दुश्मनी होने लगी।
(बेमुनव्वर = अंधकारमय)
देखकर मेरी तरक्की ये हुआ
शहर भर में खलबली होने लगी।
कैसे बदली मुल्क की आबोहवा
हर गली में ख़ुदकुशी होने लगी।
आज ऐसे खटखटाती है किवाड़
साँस जैसे अजनबी होने लगी।
लौट आईं पंछियाँ वापस वतन
फिर हवा संजीवनी होने लगी।
स्वाद माँ के हाथ के पकवान का
मेरी ये आदत बुरी होने लगी।
इतने बरसे हैं कि अब सूखे से हैं
इश्क़ में फिर तिश्नगी होने लगी।
(तिश्नगी = प्यास)
दोस्तों से दुश्मनी होने लगी।
(बेमुनव्वर = अंधकारमय)
देखकर मेरी तरक्की ये हुआ
शहर भर में खलबली होने लगी।
कैसे बदली मुल्क की आबोहवा
हर गली में ख़ुदकुशी होने लगी।
आज ऐसे खटखटाती है किवाड़
साँस जैसे अजनबी होने लगी।
लौट आईं पंछियाँ वापस वतन
फिर हवा संजीवनी होने लगी।
स्वाद माँ के हाथ के पकवान का
मेरी ये आदत बुरी होने लगी।
इतने बरसे हैं कि अब सूखे से हैं
इश्क़ में फिर तिश्नगी होने लगी।
(तिश्नगी = प्यास)
-आशीष नैथानी 'सलिल'
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