यूँ तो एक उम्र साथ-साथ हुई
जिस्म की रूह से न बात हुई
क्यों ख़यालों मे रोज़ आते हैं
इक मुलाक़ात जिनके साथ हुई
कितना सोचा था दिल लगाएँगे
सोचते-सोचते हयात हुई
(हयात = जीवन, ज़िन्दगी)
लाख ताक़ीद हुस्न करता रहा
इश्क़ से ख़ाक एहतियात हुई
(ताक़ीद = जोर के साथ किसी बात की आज्ञा या अनुरोध, ख़ूब चेताकर कही हुई बात), (एहतियात = सतर्कता, सचेत रहने की क्रिया)
इक फ़क़त वस्ल का न वक़्त हुआ
दिन हुआ रोज, रोज़ रात हुई
(वस्ल = मिलन)
क्या बताएँ बिसात ज़र्रे की
ज़र्रे-ज़र्रे से कायनात हुई
(बिसात = हैसियत, सामर्थ्य), (कायनात = सृष्टि, जगत)
शायद आई है रुत चुनावों की
कल जो कूचे में वारदात हुई
क्या थी मुश्किल विसाल-ए-हक़ में 'सदा'
तुझ से बस रद न तेरी ज़ात हुई
(विसाल-ए-हक़ = मिलन का अधिकार), (रद = रद्द करना, वापस करना), (ज़ात = कुल, वंश, नस्ल, क़ौम)
-सदा अम्बालवी
जिस्म की रूह से न बात हुई
क्यों ख़यालों मे रोज़ आते हैं
इक मुलाक़ात जिनके साथ हुई
कितना सोचा था दिल लगाएँगे
सोचते-सोचते हयात हुई
(हयात = जीवन, ज़िन्दगी)
लाख ताक़ीद हुस्न करता रहा
इश्क़ से ख़ाक एहतियात हुई
(ताक़ीद = जोर के साथ किसी बात की आज्ञा या अनुरोध, ख़ूब चेताकर कही हुई बात), (एहतियात = सतर्कता, सचेत रहने की क्रिया)
इक फ़क़त वस्ल का न वक़्त हुआ
दिन हुआ रोज, रोज़ रात हुई
(वस्ल = मिलन)
क्या बताएँ बिसात ज़र्रे की
ज़र्रे-ज़र्रे से कायनात हुई
(बिसात = हैसियत, सामर्थ्य), (कायनात = सृष्टि, जगत)
शायद आई है रुत चुनावों की
कल जो कूचे में वारदात हुई
क्या थी मुश्किल विसाल-ए-हक़ में 'सदा'
तुझ से बस रद न तेरी ज़ात हुई
(विसाल-ए-हक़ = मिलन का अधिकार), (रद = रद्द करना, वापस करना), (ज़ात = कुल, वंश, नस्ल, क़ौम)
-सदा अम्बालवी
राधिका चोपड़ा/ Radhika Chopda
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