काश ऐसा कोई मंज़र होता
मेरे कांधे पे तेरा सर होता
जमा करता जो मैं आए हुए संग
सर छुपाने के लिये घर होता
(संग = पत्थर)
इस बुलंदी पे बहुत तन्हा हूँ
काश मैं सबके बराबर होता
उस ने उलझा दिया दुनिया में मुझे
वरना इक और क़लंदर होता
(क़लंदर = साधू, त्यागी, मस्त मौला)
-ताहिर फ़राज़
मेरे कांधे पे तेरा सर होता
जमा करता जो मैं आए हुए संग
सर छुपाने के लिये घर होता
(संग = पत्थर)
इस बुलंदी पे बहुत तन्हा हूँ
काश मैं सबके बराबर होता
उस ने उलझा दिया दुनिया में मुझे
वरना इक और क़लंदर होता
(क़लंदर = साधू, त्यागी, मस्त मौला)
-ताहिर फ़राज़
हरिहरन/ Hariharan
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