Thursday, October 16, 2014

गहराई की थाह न पाए दुनिया को हैरानी है
तू ही बता ऐ बहर-ए-मुहब्बत तुझमे कितना पानी है
-फ़िराक़ गोरखपुरी

[(थाह  = अंत, सीमा), (बहर-ए-मुहब्बत = प्रेम का सागर)]


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