Sunday, November 16, 2014

लो दिल की बात आप भी हम से छुपा गए

लो दिल की बात आप भी हम से छुपा गए
लगता है आप ग़ैरों की बातों में आ गए

मेरी तो इल्तिजा थी, रक़ीबों से मत मिलो
उनके बिछाए जाल में लो तुम भी आ गए

ये इश्क़ का सफ़र है, मंज़िल है इस की मौत
घायल जो करने आए थे, वही चोट खा गए

रोना था मुझ को उन के दामन में ज़ार-ज़ार
पलकों के मेरे अश्क़ उन्हीं को रुला गए

'गुमनाम' भूलता नहीं वो तेरी रहगुज़र
जिस रहगुज़र पे प्यार की शम्आ बुझा गए

-सुरेन्दर मलिक 'गुमनाम'


                                                                   रेशमा/ Reshma 

No comments:

Post a Comment