Saturday, December 20, 2014

एक बस तू ही नहीं मुझसे ख़फ़ा हो बैठा

एक बस तू ही नहीं मुझसे ख़फ़ा हो बैठा
मैंने जो संग तराशा था ख़ुदा हो बैठा

(संग = पत्थर)

उठ के मंज़िल ही अगर आये तो शायद कुछ हो
शौक़-ए-मंज़िल तो मेरा आबला-पा हो बैठा

(आब्ला-पा = छाले वाले पाँव)

मसलह्त छीन गई क़ुव्वत-ए-ग़ुफ़्तार मगर
कुछ न कहना ही मेरा मेरी ख़ता हो बैठा

(मस्लहत = समझदारी), (क़ुव्वत-ए-ग़ुफ़्तार = बात करने की ताकत)

शुक्रिया ऐ मेरे क़ातिल ऐ मसीहा मेरे
ज़हर जो तूने दिया था वो दवा हो बैठा

जान-ए-शहज़ाद को मिन-जुम्ला-ए-आदा पा कर
हूक वो उट्ठी कि जी तन से जुदा हो बैठा

(मिन-जुम्ला-ए-आदा = दुश्मनों में से एक)

-फ़रहत शहज़ाद

मेहदी हसन/ Mehdi Hassan

आबिदा परवीन/ Abida Parveen

No comments:

Post a Comment