कमा के पूरा किया जितना भी ख़सारा था
वहीं से जीत के निकला जहां से मैं हारा था
(ख़सारा = हानि, घाटा, नुक्सान)
न मेरे चेहरे पे दाढ़ी, न सर पे चोटी थी
मगर फ़साद ने पत्थर मुझे भी मारा था
-शकील आज़मी
वहीं से जीत के निकला जहां से मैं हारा था
(ख़सारा = हानि, घाटा, नुक्सान)
न मेरे चेहरे पे दाढ़ी, न सर पे चोटी थी
मगर फ़साद ने पत्थर मुझे भी मारा था
-शकील आज़मी
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