हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीदार में रहने के लिये
कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिये
(चश्म-ए-ख़रीदार = खरीदने वाले की नज़र)
अब तो बदनामी का शोहरत से वो रिश्ता है, के लोग
नंगे हो जाते है अख़बार में रहने के लिये
-शकील आज़मी
कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिये
(चश्म-ए-ख़रीदार = खरीदने वाले की नज़र)
अब तो बदनामी का शोहरत से वो रिश्ता है, के लोग
नंगे हो जाते है अख़बार में रहने के लिये
-शकील आज़मी
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