Monday, May 11, 2015

कल की बातें कल के क़िस्से तुमको आज सुनायें क्या
तुमने ही जो ज़ख़्म दिए हैं तुम को ही दिखलायें क्या

उसके ग़म ने हम से सारे दर्द के नाते तोड़ लिए
आँखों में आँसू ही नहीं अब यारों हम मुस्काएँ क्या

राह-ए-वफ़ा में साथ निभाने कौन कहाँ तक आएगा
मंज़िल की ये बातें हैं अब रस्ते में बतलायें क्या

-शायर: नामालूम

 

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