कल की बातें कल के क़िस्से तुमको आज सुनायें क्या
तुमने ही जो ज़ख़्म दिए हैं तुम को ही दिखलायें क्या
उसके ग़म ने हम से सारे दर्द के नाते तोड़ लिए
आँखों में आँसू ही नहीं अब यारों हम मुस्काएँ क्या
राह-ए-वफ़ा में साथ निभाने कौन कहाँ तक आएगा
मंज़िल की ये बातें हैं अब रस्ते में बतलायें क्या
-शायर: नामालूम
तुमने ही जो ज़ख़्म दिए हैं तुम को ही दिखलायें क्या
उसके ग़म ने हम से सारे दर्द के नाते तोड़ लिए
आँखों में आँसू ही नहीं अब यारों हम मुस्काएँ क्या
राह-ए-वफ़ा में साथ निभाने कौन कहाँ तक आएगा
मंज़िल की ये बातें हैं अब रस्ते में बतलायें क्या
-शायर: नामालूम
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