Monday, May 11, 2015

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था
न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था

(रक़ीब = प्रेमिका का दूसरा प्रेमी, प्रेमक्षेत्र का प्रतिद्वंदी)

वो क़त्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं
ये काम किस ने किया है ये काम किस का था

वफ़ा करेंगे ,निबाहेंगे, बात मानेंगे
तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था

रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा
मुक़ीम कौन हुआ है मुक़ाम किस का था

(मुक़ीम = निवासी, ठहरा हुआ), (मुक़ाम =ठहरने का स्थान, पड़ाव)

न पूछ-ताछ थी किसी की वहाँ न आवभगत
तुम्हारी बज़्म में कल एहतमाम किस का था

(बज़्म = महफ़िल, सभा), (एहतमाम = प्रबन्ध)

हमारे ख़त के तो पुर्जे किए पढ़ा भी नहीं
सुना जो तुम ने बा-दिल वो पयाम किस का था

(बा-दिल = दिल से), (पयाम = सन्देश)

इन्हीं सिफ़ात से होता है आदमी मशहूर
जो लुत्फ़ आप ही करते तो नाम किस का था

(सिफ़ात = गुणों)

तमाम बज़्म जिसे सुन के रह गई मुश्ताक़
कहो, वो तज़्किरा-ए-नातमाम किसका था

(मुश्ताक़ = उत्सुक, अभिलाषी), (तज़्किरा-ए-नातमाम = अधूरा ज़िक्र)

गुज़र गया वो ज़माना कहें तो किस से कहें
ख़याल मेरे दिल को सुबह-ओ-शाम किस का था

अगर्चे देखने वाले तेरे हज़ारों थे
तबाह हाल बहुत ज़ेर-ए-बाम किसका था

(अगर्चे = अगरचे = यद्यपि, हालाँकि), (ज़ेर-ए-बाम = छत के नीचे)

हर इक से कहते हैं क्या 'दाग़' बेवफ़ा निकला
ये पूछे इन से कोई वो ग़ुलाम किस का था

-दाग़

ग़ुलाम अली/ Ghulam Ali 
 
 
 
जगजीत सिंह/ Jagjit Singh 
 
 

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