कोशिशों में दम न था
वक़्त वरना कम न था
दोस्ती के ज़ख़्म का
कोई भी मरहम न था
वक़्त, हिम्मत, आसरा
सब तो थे, मौसम न था
किस क़दर हम मानते
जिस क़दर था, कम न था
सारे ग़म हैं घर के साथ
घर न था तो ग़म न था
-हस्तीमल 'हस्ती'
वक़्त वरना कम न था
दोस्ती के ज़ख़्म का
कोई भी मरहम न था
वक़्त, हिम्मत, आसरा
सब तो थे, मौसम न था
किस क़दर हम मानते
जिस क़दर था, कम न था
सारे ग़म हैं घर के साथ
घर न था तो ग़म न था
-हस्तीमल 'हस्ती'
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