हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह
सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे
मेरी मंज़िल है, कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ
सुबह तक तुझसे बिछड़ कर मुझे जाना है कहाँ
सोचने के लिए इक रात का मौका दे दे
अपनी आंखों में छुपा रक्खे हैं जुगनू मैंने
अपनी पलकों पे सजा रक्खे हैं आंसू मैंने
मेरी आंखों को भी बरसात का मौका दे दे
आज की रात मेरा दर्द-ऐ-मोहब्बत सुन ले
कंप-कंपाते हुए होठों की शिकायत सुन ले
आज इज़हार-ऐ-ख़यालात का मौका दे दे
भूलना ही था तो ये इक़रार किया ही क्यूँ था
बेवफा तूने मुझे प्यार किया ही क्यूँ था
सिर्फ़ दो चार सवालात का मौका दे दे
-कैसर उल जाफ़री
सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे
मेरी मंज़िल है, कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ
सुबह तक तुझसे बिछड़ कर मुझे जाना है कहाँ
सोचने के लिए इक रात का मौका दे दे
अपनी आंखों में छुपा रक्खे हैं जुगनू मैंने
अपनी पलकों पे सजा रक्खे हैं आंसू मैंने
मेरी आंखों को भी बरसात का मौका दे दे
आज की रात मेरा दर्द-ऐ-मोहब्बत सुन ले
कंप-कंपाते हुए होठों की शिकायत सुन ले
आज इज़हार-ऐ-ख़यालात का मौका दे दे
भूलना ही था तो ये इक़रार किया ही क्यूँ था
बेवफा तूने मुझे प्यार किया ही क्यूँ था
सिर्फ़ दो चार सवालात का मौका दे दे
-कैसर उल जाफ़री
Qawwali
Ghulam Ali/ ग़ुलाम अली
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