मिली हो रूहें तो रस्मों की बंदिशें क्या हैं
बदन तो ख़ाक ही होने हैं रंजिशें क्या हैं
मैं हर जनम में तो पोशाक ही बदलता हूँ
मेरा वजूद मिटाने की कोशिशें क्या हैं
जो ख़ुद से मिलने की ख़्वाहिश करो तो बात बने
बग़ैर इसके जहाँ भर की ख़्वाहिशें क्या हैं
जो मोती बन सके वो बूंद जब नसीब नहीं
तो सीप के लिए फिर तेज़ बारिशें क्या हैं
-मदनपाल
https://www.youtube.com/watch?v=i0of-J0Y0xg
बदन तो ख़ाक ही होने हैं रंजिशें क्या हैं
मैं हर जनम में तो पोशाक ही बदलता हूँ
मेरा वजूद मिटाने की कोशिशें क्या हैं
जो ख़ुद से मिलने की ख़्वाहिश करो तो बात बने
बग़ैर इसके जहाँ भर की ख़्वाहिशें क्या हैं
जो मोती बन सके वो बूंद जब नसीब नहीं
तो सीप के लिए फिर तेज़ बारिशें क्या हैं
-मदनपाल
https://www.youtube.com/watch?v=i0of-J0Y0xg
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