कैसे गुज़रा साल न पूछ
बस तू मेरा हाल न पूछ
ज़ख़्मी हैं पर कोशिश में
कैसे काटा जाल न पूछ
ज़िंदा हूँ इस हालत में
कैसे हुआ कमाल न पूछ
गुमसुम से क्यूँ रहते हो
मुझसे ये सवाल न पूछ
तौबा है मय से फिर भी
बहकी क्यूँ है चाल न पूछ
(मय = शराब)
ज़ख्म-ए-दिल भर गया फिर भी
पैरहन क्यूँ है लाल न पूछ
(पैरहन = लिबास, वस्त्र)
सुन सदा दिल की अपने
दुनिया का ख़याल न पूछ
(सदा = आवाज़)
हिम्मत कर निकल घर से
नुज़ूमी से फिर फ़ाल न पूछ
(नुज़ूमी = ज्योतिषी), (फ़ाल = शुभ-अशुभ बतलाने की क्रिया)
- विकास वाहिद
बस तू मेरा हाल न पूछ
ज़ख़्मी हैं पर कोशिश में
कैसे काटा जाल न पूछ
ज़िंदा हूँ इस हालत में
कैसे हुआ कमाल न पूछ
गुमसुम से क्यूँ रहते हो
मुझसे ये सवाल न पूछ
तौबा है मय से फिर भी
बहकी क्यूँ है चाल न पूछ
(मय = शराब)
ज़ख्म-ए-दिल भर गया फिर भी
पैरहन क्यूँ है लाल न पूछ
(पैरहन = लिबास, वस्त्र)
सुन सदा दिल की अपने
दुनिया का ख़याल न पूछ
(सदा = आवाज़)
हिम्मत कर निकल घर से
नुज़ूमी से फिर फ़ाल न पूछ
(नुज़ूमी = ज्योतिषी), (फ़ाल = शुभ-अशुभ बतलाने की क्रिया)
- विकास वाहिद
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