Saturday, January 16, 2016

कैसे गुज़रा साल न पूछ

कैसे गुज़रा साल न पूछ
बस तू मेरा हाल न पूछ

ज़ख़्मी हैं पर कोशिश में
कैसे काटा जाल न पूछ

ज़िंदा हूँ इस हालत में
कैसे हुआ कमाल न पूछ

गुमसुम से क्यूँ रहते हो
मुझसे ये सवाल न पूछ

तौबा है मय से फिर भी
बहकी क्यूँ है चाल न पूछ

(मय = शराब)

ज़ख्म-ए-दिल भर गया फिर भी
पैरहन क्यूँ है लाल न पूछ

(पैरहन = लिबास, वस्त्र)

सुन सदा दिल की अपने
दुनिया का ख़याल न पूछ

(सदा = आवाज़)

हिम्मत कर निकल घर से
नुज़ूमी से फिर फ़ाल न पूछ

(नुज़ूमी = ज्योतिषी), (फ़ाल = शुभ-अशुभ बतलाने की क्रिया)

- विकास वाहिद

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