Wednesday, February 17, 2016

लड़ने की जब से ठान ली सच बात के लिए

लड़ने की जब से ठान ली सच बात के लिए
सौ आफ़तों का साथ है दिन रात के लिए

अब है फुज़ूल वक़्त कहाँ आदमी के पास
दर और कोई ढूँढिये जज़्बात के लिए

ऐसा नहीं कि लोग निभाते नहीं हैं साथ
आवाज़ दे के देख फ़सादात के लिए

इल्ज़ाम दीजिये न किसी एक शख़्स को
मुजरिम सभी हैं आज के हालात के लिए

उसने उसे फुज़ूल समझकर उड़ा दिया
बरबाद हो गया हूँ मैं जिस बात के लिए

-हस्तीमल 'हस्ती'

No comments:

Post a Comment