लड़ने की जब से ठान ली सच बात के लिए
सौ आफ़तों का साथ है दिन रात के लिए
अब है फुज़ूल वक़्त कहाँ आदमी के पास
दर और कोई ढूँढिये जज़्बात के लिए
ऐसा नहीं कि लोग निभाते नहीं हैं साथ
आवाज़ दे के देख फ़सादात के लिए
इल्ज़ाम दीजिये न किसी एक शख़्स को
मुजरिम सभी हैं आज के हालात के लिए
उसने उसे फुज़ूल समझकर उड़ा दिया
बरबाद हो गया हूँ मैं जिस बात के लिए
-हस्तीमल 'हस्ती'
सौ आफ़तों का साथ है दिन रात के लिए
अब है फुज़ूल वक़्त कहाँ आदमी के पास
दर और कोई ढूँढिये जज़्बात के लिए
ऐसा नहीं कि लोग निभाते नहीं हैं साथ
आवाज़ दे के देख फ़सादात के लिए
इल्ज़ाम दीजिये न किसी एक शख़्स को
मुजरिम सभी हैं आज के हालात के लिए
उसने उसे फुज़ूल समझकर उड़ा दिया
बरबाद हो गया हूँ मैं जिस बात के लिए
-हस्तीमल 'हस्ती'
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