अपने लहू का रंग भी पहचानती नहीं
इन्सान के नसीब में अंधों की नस्ल है
लड़ते भी हैं तो प्यार से मुंह मोड़ते नहीं
हम से कहीं ज़ियादा तो बच्चों में अक़्ल है
-इबरत मछलीशहरी
इन्सान के नसीब में अंधों की नस्ल है
लड़ते भी हैं तो प्यार से मुंह मोड़ते नहीं
हम से कहीं ज़ियादा तो बच्चों में अक़्ल है
-इबरत मछलीशहरी
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