Friday, February 5, 2016

बर्बाद-ए-गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफी था
हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा
-हिलाल स्योहारवी 

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