उठाए संग खड़े हैं सभी समर के लिए
दुआएँ खैर भी माँगे कोई शजर के लिए
(संग = पत्थर), (समर = युद्ध)
हमेशा घर का अंधेरा डराने लगता है
मैं जब चिराग़ जलाता हूँ रहगुज़र के लिए
ख़याल आता है मंज़िल के पास आते ही
कि कूच करना है इक दूसरे सफ़र के लिए
कतार बाँधे हुए, टकटकी लगाए हुए
खड़े हैं आज भी कुछ लोग इक नज़र के लिए
वहाँ भी अहले-हुनर सर झुकाए बैठे हैं
जहाँ पे कद्र नहीं इक ज़रा हुनर के लिए
(अहले-हुनर = हुनर वाले)
तमाम रात कहाँ यों भी नींद आती है
मुझे तो सोना है इक ख़्वाबे-मुख़्तसर के लिए
(ख़्वाबे-मुख़्तसर = संक्षिप्त सा स्वप्न)
हम अपने आगे पशेमाँ तो नहीं 'आलम'
हमें कुबूल है रुसवाई उम्र भर के लिए
(पशेमाँ = लज्जित), (रुसवाई = बदनामी)
- आलम खुर्शीद
दुआएँ खैर भी माँगे कोई शजर के लिए
(संग = पत्थर), (समर = युद्ध)
हमेशा घर का अंधेरा डराने लगता है
मैं जब चिराग़ जलाता हूँ रहगुज़र के लिए
ख़याल आता है मंज़िल के पास आते ही
कि कूच करना है इक दूसरे सफ़र के लिए
कतार बाँधे हुए, टकटकी लगाए हुए
खड़े हैं आज भी कुछ लोग इक नज़र के लिए
वहाँ भी अहले-हुनर सर झुकाए बैठे हैं
जहाँ पे कद्र नहीं इक ज़रा हुनर के लिए
(अहले-हुनर = हुनर वाले)
तमाम रात कहाँ यों भी नींद आती है
मुझे तो सोना है इक ख़्वाबे-मुख़्तसर के लिए
(ख़्वाबे-मुख़्तसर = संक्षिप्त सा स्वप्न)
हम अपने आगे पशेमाँ तो नहीं 'आलम'
हमें कुबूल है रुसवाई उम्र भर के लिए
(पशेमाँ = लज्जित), (रुसवाई = बदनामी)
- आलम खुर्शीद
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