Wednesday, February 24, 2016

सुलगती रेत पे रौशन सराब रख देना

सुलगती रेत पे रौशन सराब रख देना
उदास आँखों में खुशरंग ख़्वाब रख देना

(सराब = मृगतृष्णा)

सदा से प्यास ही इस ज़िन्दगी का हासिल है
मेरे हिसाब में ये बेहिसाब रख देना

वफ़ा, ख़ुलूस, मुहब्बत, सराब ख़्वाबों के
हमारे नाम ये सारे अज़ाब रख देना

(ख़ुलूस = सरलता और निष्कपटता, सच्चाई, निष्ठां), (सराब = मृगतृष्णा), (अज़ाब = कष्ट, यातना, पीड़ा, दुःख, तकलीफ)

सुना है चाँद की धरती पे कुछ नहीं उगता
वहाँ भी गोमती, झेलम, चिनाब रख देना

क़दम क़दम पे घने कैक्टस उग आए हैं
मेरी निगाह में अक्से-गुलाब रख देना

(अक्से-गुलाब = गुलाब का प्रतिबिम्ब/ तस्वीर)

मैं खो न जाऊँ कहीं तीरगी के जंगल में
किसी शजर के तले आफ़ताब रख देना

(तीरगी = अन्धकार), (शजर = पेड़, वृक्ष), (आफ़ताब = सूरज)

- आलम खुर्शीद

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