सुलगती रेत पे रौशन सराब रख देना
उदास आँखों में खुशरंग ख़्वाब रख देना
(सराब = मृगतृष्णा)
सदा से प्यास ही इस ज़िन्दगी का हासिल है
मेरे हिसाब में ये बेहिसाब रख देना
वफ़ा, ख़ुलूस, मुहब्बत, सराब ख़्वाबों के
हमारे नाम ये सारे अज़ाब रख देना
(ख़ुलूस = सरलता और निष्कपटता, सच्चाई, निष्ठां), (सराब = मृगतृष्णा), (अज़ाब = कष्ट, यातना, पीड़ा, दुःख, तकलीफ)
सुना है चाँद की धरती पे कुछ नहीं उगता
वहाँ भी गोमती, झेलम, चिनाब रख देना
क़दम क़दम पे घने कैक्टस उग आए हैं
मेरी निगाह में अक्से-गुलाब रख देना
(अक्से-गुलाब = गुलाब का प्रतिबिम्ब/ तस्वीर)
मैं खो न जाऊँ कहीं तीरगी के जंगल में
किसी शजर के तले आफ़ताब रख देना
(तीरगी = अन्धकार), (शजर = पेड़, वृक्ष), (आफ़ताब = सूरज)
- आलम खुर्शीद
उदास आँखों में खुशरंग ख़्वाब रख देना
(सराब = मृगतृष्णा)
सदा से प्यास ही इस ज़िन्दगी का हासिल है
मेरे हिसाब में ये बेहिसाब रख देना
वफ़ा, ख़ुलूस, मुहब्बत, सराब ख़्वाबों के
हमारे नाम ये सारे अज़ाब रख देना
(ख़ुलूस = सरलता और निष्कपटता, सच्चाई, निष्ठां), (सराब = मृगतृष्णा), (अज़ाब = कष्ट, यातना, पीड़ा, दुःख, तकलीफ)
सुना है चाँद की धरती पे कुछ नहीं उगता
वहाँ भी गोमती, झेलम, चिनाब रख देना
क़दम क़दम पे घने कैक्टस उग आए हैं
मेरी निगाह में अक्से-गुलाब रख देना
(अक्से-गुलाब = गुलाब का प्रतिबिम्ब/ तस्वीर)
मैं खो न जाऊँ कहीं तीरगी के जंगल में
किसी शजर के तले आफ़ताब रख देना
(तीरगी = अन्धकार), (शजर = पेड़, वृक्ष), (आफ़ताब = सूरज)
- आलम खुर्शीद
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