Wednesday, March 9, 2016

तह-ब-तह है राज़ कोई आब की तहवील में

तह-ब-तह है राज़ कोई आब की तहवील में
ख़ामुशी यूँ ही नहीं रहती है गहरी झील में

(तह-ब-तह = एक के नीचे एक, परत दर परत), (आब = पानी), (तहवील = सपुर्दगी, अमानत, खज़ाना)

मैं ने बचपन में अधूरा ख़्वाब देखा था कोई
आज तक मसरूफ़ हूँ उस ख़्वाब की तकमील में

(मसरूफ़ = मशगूल, काम में लगा हुआ), (तकमील = पूरा होने की क्रिया या भाव, निष्पादन, पूर्ति)

हर घड़ी अहकाम जारी करता रहता है ये दिल
हाथ बांधे मैं खड़ा हूँ हुक्म की तामील में

(अहकाम = हुक्म का बहुवचन, आदेश), (तामील = आज्ञा का पालन)

कब मिरी मर्ज़ी से कोई काम होता है तमाम
हर घड़ी रहता हूँ मैं क्यूँ बेसबब ताजील में

(बेसबब = बिना कारण), (ताजील = जल्दी, शीघ्रता)

मांगती है अब मोहब्बत अपने होने का सुबूत
और मैं जाता नहीं इज़हार की तफ़्सील में

(इज़हार = ज़ाहिर या प्रकट करना), (तफ़्सील = विस्तृत वर्णन, ब्योरा)

मुद्दआ तेरा समझ लेता हूँ तेरी चाल से
तू परेशां है अबस अल्फ़ाज़ की तावील में

(अबस = व्यर्थ, नाहक), (तावील = व्याख्या)

अपनी ख़ातिर भी तो 'आलम' चीज़ रखनी थी कोई
अब कहाँ कुछ भी बचा है तेरी इस ज़म्बील में

(ज़म्बील = थैली, विशेषतः वो थैली जिसमें फ़कीर लोग भीख में मिली हुई चीज़ें रखते हैं)

-आलम खुर्शीद

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