वक़्त-ऐ-रुखसत शहनाई बुरी लगती है
मुझको बेटियों की बिदाई बुरी लगती है
तनहा बैठूं कभी तो भीग जाती हैं पलकें
मुझे तसव्वुर में भी जुदाई बुरी लगती है
(तसव्वुर = ख़याल, विचार, याद)
अकेलेपन से ख़ौफ़ज़दा हूँ मैं इस कदर
साथ रहने दो मुझे तन्हाई बुरी लगती है
प्यार से मांग तो सही, जां भी दूंगा मगर
मुझे लहज़े में तल्ख़नवाई बुरी लगती है
(तल्ख़ नवाई = कड़वे बोल)
ज़िक्र करता नहीं हूँ कभी किसी से तेरा
मुझे महफ़िल में तेरी रुस्वाई बुरी लगती है
शिकवे शिकायतें तग़ाफ़ुल सब है मंजूर
मगर मुझको तेरी बेवफ़ाई बुरी लगती है।
(तग़ाफ़ुल = बेरुख़ी, उपेक्षा)
उठ कर न जाओ यूँ पहलू से अभी
तुमसे एक पल की जुदाई बुरी लगती है
- विकास वाहिद
मुझको बेटियों की बिदाई बुरी लगती है
तनहा बैठूं कभी तो भीग जाती हैं पलकें
मुझे तसव्वुर में भी जुदाई बुरी लगती है
(तसव्वुर = ख़याल, विचार, याद)
अकेलेपन से ख़ौफ़ज़दा हूँ मैं इस कदर
साथ रहने दो मुझे तन्हाई बुरी लगती है
प्यार से मांग तो सही, जां भी दूंगा मगर
मुझे लहज़े में तल्ख़नवाई बुरी लगती है
(तल्ख़ नवाई = कड़वे बोल)
ज़िक्र करता नहीं हूँ कभी किसी से तेरा
मुझे महफ़िल में तेरी रुस्वाई बुरी लगती है
शिकवे शिकायतें तग़ाफ़ुल सब है मंजूर
मगर मुझको तेरी बेवफ़ाई बुरी लगती है।
(तग़ाफ़ुल = बेरुख़ी, उपेक्षा)
उठ कर न जाओ यूँ पहलू से अभी
तुमसे एक पल की जुदाई बुरी लगती है
- विकास वाहिद
No comments:
Post a Comment