Saturday, April 9, 2016

बहुत हो गया दिल जलाने का मौसम

बहुत हो गया दिल जलाने का मौसम
यही है यही मुस्कुराने का मौसम।

चलो आज फिर से कसम ये उठा लें
न आये कभी दिल दुखाने का मौसम।

सुनो आज मौसम यही कह रहा है
सभी से दिलों को मिलाने का मौसम।

कहीं आग से घर किसी का जले ना
लगी आग फिर से बुझाने का मौसम।

खिजाएं यहाँ फिर पलट कर न आएं
नए पेड़ फिर से लगाने का मौसम।

तुम्हारे हमारे सदा बीच हो अब
किये जो भी वादे निभाने का मौसम ।

बहुत ठण्ड है आज लेकिन करें क्या
तेरी आँख में डूब जाने का मौसम।

चलो हाथ दिल पर रखो और कह दो
यही है दिलों को मिलाने का मौसम।

मिला कर नज़र हो गए तुम परीशां
नरम धूप है गुनगुनाने का मौसम।

अगर हम बहकने लगें रोक देना
नहीं ये नहीं गुल खिलाने का मौसम।

किसी को किसी से मुहब्बत नहीं है
चलो 'आरसी' दूर जाने का मौसम।

-आर. सी . शर्मा "आरसी"

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