ख़ुद को लहूलुहान न कर
रिश्तों का अपमान न कर
इक लम्हे का जीवन है
सदियों का सामान न कर
प्यार अगर है तो घर है
घर को यार दुकान न कर
जो जैसा है वैसा कह
जुगनू को दिनमान न कर
कुछ तो मुश्किल रहने दे
हर मुश्किल आसान न कर
-अश्वघोष
रिश्तों का अपमान न कर
इक लम्हे का जीवन है
सदियों का सामान न कर
प्यार अगर है तो घर है
घर को यार दुकान न कर
जो जैसा है वैसा कह
जुगनू को दिनमान न कर
कुछ तो मुश्किल रहने दे
हर मुश्किल आसान न कर
-अश्वघोष
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