Wednesday, June 15, 2016

ये दुनिया रहे न रहे मेरे हमदम

ये दुनिया रहे न रहे मेरे हमदम
कहानी मुहब्बत की ज़िंदा रहेगी
कभी गीत बनके लबों पे सजेगी
कभी फूल बनके ये महका करेगी

मुहब्बत तो है दो दिलों का तराना
मुहब्बत तो है पाक रूहों का संगम
अगर रूह से रूह मिल जाये साथी
तो बेदर्द दुनिया जुदा क्या करेगी

समझता है सारा जहाँ ये हक़ीक़त
मुहब्बत ख़ुदा है ख़ुदा है मुहब्बत
मुहब्बत को दे जायेंगे इतनी अज़मत
ये दुनिया मुहब्बत को सजदा करेगी

(अज़मत = महानता)

-शायर: नामालूम


Mehdi Hassan/ मेहदी हसन 







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