उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं
बाइस-ए-तर्क-ए मुलाक़ात बताते भी नहीं
(उज़्र = आपत्ति, विरोध, क्षमा-याचना, बहाना), (बाइस-ए-तर्क-ए मुलाक़ात = मिलना छोड़ देने का कारण)
मुंतज़िर हैं दम-ए-रुख़सत के ये मर जाए तो जाएँ
फिर ये एहसान के हम छोड़ के जाते भी नहीं
(मुंतज़िर = प्रतीक्षारत), (दम-ए-रुख़सत = विदा के समय)
सर उठाओ तो सही, आँख मिलाओ तो सही
नश्शा-ए-मय भी नहीं, नींद के माते भी नहीं
(नश्शा-ए-मय = शराब का नशा), (माते = आदतें)
क्या कहा फिर तो कहो, हम नहीं सुनते तेरी
नहीं सुनते तो हम ऐसों को सुनाते भी नहीं
ख़ूब परदा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं
(चिलमन = बांस की फट्टियों का पर्दा, चिक)
मुझ से लाग़र तेरी आँखों में खटकते तो रहे
तुझसे नाज़ुक मेरी नज़रों में समाते भी नहीं
(लाग़र = दुबला-पतला)
देखते ही मुझे महफ़िल में ये इरशाद हुआ
कौन बैठा है इसे लोग उठाते भी नहीं
(इरशाद = आदेश, हुक्म)
हो चुका क़त्अ तअल्लुक़ तो जफ़ाएँ क्यूँ हों
जिनको मतलब नहीं रहता वो सताते भी नहीं
(क़त्अ तअल्लुक़ = संबंध-विच्छेद), (जफ़ा = सख्ती, जुल्म, अत्याचार)
ज़ीस्त से तंग हो ऐ 'दाग़' तो जीते क्यूँ हो
जान प्यारी भी नहीं जान से जाते भी नहीं
(ज़ीस्त = जीवन, ज़िंदगी)
-दाग़ देहलवी
बाइस-ए-तर्क-ए मुलाक़ात बताते भी नहीं
(उज़्र = आपत्ति, विरोध, क्षमा-याचना, बहाना), (बाइस-ए-तर्क-ए मुलाक़ात = मिलना छोड़ देने का कारण)
मुंतज़िर हैं दम-ए-रुख़सत के ये मर जाए तो जाएँ
फिर ये एहसान के हम छोड़ के जाते भी नहीं
(मुंतज़िर = प्रतीक्षारत), (दम-ए-रुख़सत = विदा के समय)
सर उठाओ तो सही, आँख मिलाओ तो सही
नश्शा-ए-मय भी नहीं, नींद के माते भी नहीं
(नश्शा-ए-मय = शराब का नशा), (माते = आदतें)
क्या कहा फिर तो कहो, हम नहीं सुनते तेरी
नहीं सुनते तो हम ऐसों को सुनाते भी नहीं
ख़ूब परदा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं
(चिलमन = बांस की फट्टियों का पर्दा, चिक)
मुझ से लाग़र तेरी आँखों में खटकते तो रहे
तुझसे नाज़ुक मेरी नज़रों में समाते भी नहीं
(लाग़र = दुबला-पतला)
देखते ही मुझे महफ़िल में ये इरशाद हुआ
कौन बैठा है इसे लोग उठाते भी नहीं
(इरशाद = आदेश, हुक्म)
हो चुका क़त्अ तअल्लुक़ तो जफ़ाएँ क्यूँ हों
जिनको मतलब नहीं रहता वो सताते भी नहीं
(क़त्अ तअल्लुक़ = संबंध-विच्छेद), (जफ़ा = सख्ती, जुल्म, अत्याचार)
ज़ीस्त से तंग हो ऐ 'दाग़' तो जीते क्यूँ हो
जान प्यारी भी नहीं जान से जाते भी नहीं
(ज़ीस्त = जीवन, ज़िंदगी)
-दाग़ देहलवी
Mehdi Hassan/ मेहदी हसन
Begum Akhtar/ बेगम अख़्तर
Farida Khanum/ फ़रीदा ख़ानुम
Runa Laila/ रूना लैला
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