Saturday, July 2, 2016

मौसम की मनमानी है, आँखों आँखों पानी है

मौसम की मनमानी है
आँखों आँखों पानी है

साया साया लिख डालो
दुनिया धूप कहानी है

सब पर हँसते रहते हैं
फूलों की नादानी है

हाय ये दुनिया,हाय ये लोग
हाय,ये सब कुछ फ़ानी है

(फ़ानी = नश्वर, नष्ट हो जाने वाला)

साथ एक दरिया रख लेना
रस्ता रेगिस्तानी है

कितने सपने देख लिये
आँखों को हैरानी है

दिलवाले अब कम कम हैं
वैसे क़ौम पुरानी है

दुनिया क्या है मुझसे पूछ
मैंने दुनिया छानी है

बारिश,दरिया,सागर,ओस,
आँसू पहला पानी है

तुझको भूले बैंठे हैं
क्या ये कम क़ुर्बानी है

दरिया हमसे आँख मिला
देखें कितना पानी है

मौसम की मनमानी है
आँखों आँखों पानी है

-राहत इंदौरी

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