Sunday, July 3, 2016

आए हैं रंग बहाली पर

आए हैं रंग बहाली पर
रखता हूँ क़दम हरियाली पर

इक सूरज मेरी मुट्ठी में
इक सूरज हल की फाली पर

वही एक चिराग़ दमकता है
गंदुम की बाली बाली पर

(गंदुम = गेहूँ)

दिल दुखता है दिल रोता है
इक पत्ते की पामाली पर

(पामाली = दुर्दशा)

किसी अन-दाता पर गिर जाता
इक सिक्का कासा-ए-ख़ाली पर

(कासा-ए-ख़ाली = ख़ाली भिक्षापात्र)

कोई नूर ज़ुहूर करे 'सरवत'
उसी हम्द-अलहम्द की जाली पर

(ज़ुहूर = आविर्भाव, प्रकट), (हम्द-अलहम्द = कुरआन का आरंभिक पद)

-सरवत हुसैन 

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