अजब शै हैं ये जगवाले
मेरे गिरने पे हँसते हैं
मैं गिर के फिर संभल जाऊँ
उन्हें अच्छा नहीं लगता
विदेशों से वे अपने साथ
मांगकर लाए बैसाखी
मैं अपने पाँव चलता हूँ
उन्हें अच्छा नहीं लगता
नहीं मिलता हूँ जब उनसे
वो कहते हैं के मिलता नहीं
उन्हें अक्सर जो मिलता हूँ
उन्हें अच्छा नहीं लगता
कभी कभी जो सच बोलूँ
उन्हें सच्चा नहीं लगता
और मेरा हमेशा सच कहना
उन्हें अच्छा नहीं लगता
मैं काँटों में खिला अक्सर
कहा उसने मैं चुभता हूँ
मैं कीचड़ में भी खिल जाऊँ
उन्हें अच्छा नहीं लगता
-शशिकान्त ठाकुर
https://www.facebook.com/deepankarj/videos/vb.1443820406/3037475102905/?type=3&theater
मेरे गिरने पे हँसते हैं
मैं गिर के फिर संभल जाऊँ
उन्हें अच्छा नहीं लगता
विदेशों से वे अपने साथ
मांगकर लाए बैसाखी
मैं अपने पाँव चलता हूँ
उन्हें अच्छा नहीं लगता
नहीं मिलता हूँ जब उनसे
वो कहते हैं के मिलता नहीं
उन्हें अक्सर जो मिलता हूँ
उन्हें अच्छा नहीं लगता
कभी कभी जो सच बोलूँ
उन्हें सच्चा नहीं लगता
और मेरा हमेशा सच कहना
उन्हें अच्छा नहीं लगता
मैं काँटों में खिला अक्सर
कहा उसने मैं चुभता हूँ
मैं कीचड़ में भी खिल जाऊँ
उन्हें अच्छा नहीं लगता
-शशिकान्त ठाकुर
https://www.facebook.com/deepankarj/videos/vb.1443820406/3037475102905/?type=3&theater
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