Friday, July 22, 2016

उन्हें अच्छा नहीं लगता

अजब शै हैं ये जगवाले
मेरे गिरने पे हँसते हैं
मैं गिर के फिर संभल जाऊँ
उन्हें अच्छा नहीं लगता

विदेशों से वे अपने साथ
मांगकर लाए बैसाखी
मैं अपने पाँव चलता हूँ
उन्हें अच्छा नहीं लगता

नहीं मिलता हूँ जब उनसे
वो कहते हैं के मिलता नहीं
उन्हें अक्सर जो मिलता हूँ
उन्हें अच्छा नहीं लगता

कभी कभी जो सच बोलूँ
उन्हें सच्चा नहीं लगता
और मेरा हमेशा सच कहना
उन्हें अच्छा नहीं लगता

मैं काँटों में खिला अक्सर
कहा उसने मैं चुभता हूँ
मैं कीचड़ में भी खिल जाऊँ
उन्हें अच्छा नहीं लगता

-शशिकान्त ठाकुर

https://www.facebook.com/deepankarj/videos/vb.1443820406/3037475102905/?type=3&theater


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