सारा ज़माना जब खिलाफ बोलता है
तो समझ ले के तू साफ़ बोलता है
जो लोग बहुत ख़ामोश रहा करते हैं
ज़माने में उनका औसाफ़ बोलता है
(औसाफ़ = खूबियां)
दफन कर दो इसे तुम चाहे कितना
ज़मीं से निकल के इंसाफ बोलता है
मेरा कोई हुनर शामिल नहीं इसमें
बस लहजे में कोई अस्लाफ बोलता है
(अस्लाफ = पूर्वज)
लाख कोशिश करें हम दूरी मिटाने की
चेहरों से मगर इख़्तिलाफ़ बोलता है
(इख़्तिलाफ़ = मतभेद)
नई है पीढ़ी मुरव्वत से नहीं वाक़िफ़
बेटा अब तो बाप से साफ़ बोलता है
बुरे वक़्त में तूने मदद की हो जिसकी
अक्सर वही तेरे खिलाफ बोलता है
तुम लाख छुपा लो हमसे जुदाई का हाल
हक़ीक़त ये भीगा हुआ गिलाफ बोलता है
(गिलाफ = तकिये का खोल)
-विकास वाहिद
तो समझ ले के तू साफ़ बोलता है
जो लोग बहुत ख़ामोश रहा करते हैं
ज़माने में उनका औसाफ़ बोलता है
(औसाफ़ = खूबियां)
दफन कर दो इसे तुम चाहे कितना
ज़मीं से निकल के इंसाफ बोलता है
मेरा कोई हुनर शामिल नहीं इसमें
बस लहजे में कोई अस्लाफ बोलता है
(अस्लाफ = पूर्वज)
लाख कोशिश करें हम दूरी मिटाने की
चेहरों से मगर इख़्तिलाफ़ बोलता है
(इख़्तिलाफ़ = मतभेद)
नई है पीढ़ी मुरव्वत से नहीं वाक़िफ़
बेटा अब तो बाप से साफ़ बोलता है
बुरे वक़्त में तूने मदद की हो जिसकी
अक्सर वही तेरे खिलाफ बोलता है
तुम लाख छुपा लो हमसे जुदाई का हाल
हक़ीक़त ये भीगा हुआ गिलाफ बोलता है
(गिलाफ = तकिये का खोल)
-विकास वाहिद
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