बाहर है उजियारा अंदर अँधियारा देख रहा हूँ
झूठी मुस्कानों में जीता जग सारा देख रहा हूँ
शीशे को फौलाद बनाने की जो ताक़त रखते हैं
उन शोलों और अंगारों को नाकारा देख रहा हूँ
प्यार बचा रह जाय कहीं ये दुनिया को मंज़ूर नहीं
हर आँगन हर रिश्ते का मैं बँटवारा देख रहा हूँ
जिनके पाँव उसूलों को दिन रात कुचलते आये हैं
ऐसे लोगों के लब पर सच का नारा देख रहा हूँ
-हस्तीमल 'हस्ती'
झूठी मुस्कानों में जीता जग सारा देख रहा हूँ
शीशे को फौलाद बनाने की जो ताक़त रखते हैं
उन शोलों और अंगारों को नाकारा देख रहा हूँ
प्यार बचा रह जाय कहीं ये दुनिया को मंज़ूर नहीं
हर आँगन हर रिश्ते का मैं बँटवारा देख रहा हूँ
जिनके पाँव उसूलों को दिन रात कुचलते आये हैं
ऐसे लोगों के लब पर सच का नारा देख रहा हूँ
-हस्तीमल 'हस्ती'
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