Sunday, November 6, 2016

ये तो मुमकिन है कभी कुछ मोजज़ा महसूस हो

ये तो मुमकिन है कभी कुछ मोजज़ा महसूस हो
ये कहाँ मुमकिन है कि इंसां देवता महसूस हो

(मोजज़ा =चमत्कार)

उसकी नज़रों से तुम भी अपनी दुनिया देखना
जब भी कोई शख़्स तुमको बावरा महसूस हो

ख़ूब आती हैं बड़े लोगों को ये चालाकियाँ
कर भी दे बेआसरा तो आसरा महसूस हो

हाल अपना आजकल उस घर कि सूरत है जनाब
ठीक हो सब कुछ मगर बिखरा हुआ महसूस हो

यार का घर हो, नदी का घाट हो, या मैकदा
है वो ही मंदिर जहाँ सुख-चैन सा महसूस हो

'हस्ती' साहब हर क़दम पर चाहिए इतना यक़ीं
हम अकेले ही चलें और क़ाफ़िला महसूस हो

- हस्तीमल 'हस्ती'

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