जोखिमों से लगाव मारे है
हमको अपना सुभाव मारे है
यूं कमी भी नहीं घरों की हमें
कुछ भटकने का चाव मारे है
तू परेशां है बेख़याली से
और मुझे रखरखाव मारे है
प्यार के हर्फ़ तो हैं ढाई मगर
इनका इक-इक घुमाव मारे है
उनके हक़ में भी हम दुआ मांगें
जिनको मन का रिसाव मारे है
-हस्तीमल हस्ती
हमको अपना सुभाव मारे है
यूं कमी भी नहीं घरों की हमें
कुछ भटकने का चाव मारे है
तू परेशां है बेख़याली से
और मुझे रखरखाव मारे है
प्यार के हर्फ़ तो हैं ढाई मगर
इनका इक-इक घुमाव मारे है
उनके हक़ में भी हम दुआ मांगें
जिनको मन का रिसाव मारे है
-हस्तीमल हस्ती
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