Wednesday, November 30, 2016

जोखिमों से लगाव मारे है

जोखिमों से लगाव मारे है
हमको अपना सुभाव मारे है

यूं कमी भी नहीं घरों की हमें
कुछ भटकने का चाव मारे है

तू परेशां है बेख़याली से
और मुझे रखरखाव मारे है

प्यार के हर्फ़ तो हैं ढाई मगर
इनका इक-इक घुमाव मारे है

उनके हक़ में भी हम दुआ मांगें
जिनको मन का रिसाव मारे है

-हस्तीमल हस्ती

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