यह तो किया कि सब पे भरोसा नहीं किया
लेकिन किसी के साथ में धोखा नहीं किया
घर से बुला के लाई हैं, घर की ज़रूरतें
मैंने ख़ुशी से पर ये दरिया नहीं किया
सारे चिराग़ मैंने लहू से जलाये हैं
जुगनू पकड़ के घर में उजाला नहीं किया
ऐसा न था के दर्द से बेचैन भी न थे
लेकिन सड़क पे कोई तमाशा नहीं किया
'मश्कूर' मैंने उम्र गरीबी में काट दी
लेकिन किसी अमीर को सजदा नहीं किया
-मश्कूर अली
लेकिन किसी के साथ में धोखा नहीं किया
घर से बुला के लाई हैं, घर की ज़रूरतें
मैंने ख़ुशी से पर ये दरिया नहीं किया
सारे चिराग़ मैंने लहू से जलाये हैं
जुगनू पकड़ के घर में उजाला नहीं किया
ऐसा न था के दर्द से बेचैन भी न थे
लेकिन सड़क पे कोई तमाशा नहीं किया
'मश्कूर' मैंने उम्र गरीबी में काट दी
लेकिन किसी अमीर को सजदा नहीं किया
-मश्कूर अली
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