mir-o-ghalib
जगजीत-चित्रा जी की ग़ज़लों और नज़्मों के लिए यहाँ क्लिक करें
मीर तक़ी मीर और मिर्ज़ा ग़ालिब के चाहने वाले ये ब्लॉग भी देखें: मीर-ओ-ग़ालिब
Spiritual Science
Tuesday, November 8, 2016
हर रोज गिरकर भी, मुक्कमल खड़े हैं
ए ज़िन्दगी देख, मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं
-शायर: नामालूम
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment