mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Wednesday, February 8, 2017
तुम्हारे बाद तन्हाई अधिक है
अकेले जान घबराई अधिक है।
चलो मिलकर कहीं पुल ढूंढ लें हम
हमारे दरमियाँ खाई अधिक है
-
आर० सी० शर्मा "आरसी"
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