Monday, February 6, 2017

मंज़िलों की हर कहानी बे-असर हो जायेगी

मंज़िलों की हर कहानी बे-असर हो जायेगी
हम न होंगे तो ये दुनिया दर-ब-दर हो जायेगी

ज़िन्दगी भी काश मेरे साथ रहती सारी उम्र
खैर अब जैसी भी होनी है बसर हो जायेगी

जुगनुओं को साथ लेकर रात रौशन कीजिये
रास्ता सूरज का देखा तो सहर हो जायेगी

पाँव पत्थर कर के छोड़ेगी अगर रुक जाइये
चलते रहिये तो ज़मीं भी हमसफ़र हो जायेगी

तुमने खुद ही सर चढ़ाई थी सो अब चक्खो मज़ा
मै न कहता था दुनिया दर्द-ऐ-सर हो जायेगी

-राहत इन्दौरी

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