दर्द की इन्तेहाँ हो गई
आह भी बेज़ुबां हो गई
हाथ ना आ सकी उम्र भर
हर ख़ुशी आसमां हो गई
ऐ सुकूं बस तेरी चाह में
ज़िन्दगी रायगाँ हो गई
(रायगाँ = व्यर्थ)
बाद मुद्दत के जब वो मिले
फिर मुहब्बत जवां हो गईं
मुस्कुराते रहे लब मगर
आँख आबे रवां हो गई
(आबे रवां = बहता पानी)
छुप सकी ना हकीकत कभी
चेहरे से अयां हो गई
(अयां = प्रकट)
जिस्म जलता रहा उम्र भर
रूह जो थी धुआं हो गई
सांस बस मुस्कुराती रही
ज़िन्दगी बदगुमां हो गई
लफ्ज़ यूं गुम हुए हैं मेरे
अनकही दास्तां हो गई
- विकास वाहिद
आह भी बेज़ुबां हो गई
हाथ ना आ सकी उम्र भर
हर ख़ुशी आसमां हो गई
ऐ सुकूं बस तेरी चाह में
ज़िन्दगी रायगाँ हो गई
(रायगाँ = व्यर्थ)
बाद मुद्दत के जब वो मिले
फिर मुहब्बत जवां हो गईं
मुस्कुराते रहे लब मगर
आँख आबे रवां हो गई
(आबे रवां = बहता पानी)
छुप सकी ना हकीकत कभी
चेहरे से अयां हो गई
(अयां = प्रकट)
जिस्म जलता रहा उम्र भर
रूह जो थी धुआं हो गई
सांस बस मुस्कुराती रही
ज़िन्दगी बदगुमां हो गई
लफ्ज़ यूं गुम हुए हैं मेरे
अनकही दास्तां हो गई
- विकास वाहिद
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