Friday, August 4, 2017

कभी आ के चुपके से सौगात रख दे

कभी आ के चुपके से सौगात रख दे
धड़कते हुए दिल पे तू हाथ रख दे।

सफ़र काट लूँगा मैं इस ज़िन्दगी का
ज़रा सी मुहब्बत मेरे साथ रख दे।

थकन ओढ़ ली उम्र भर की है मैंने
कोई आ के आँखों में अब रात रख दे।

मैं पत्थर सा होने लगा पत्थरों में
मेरे दिल में तू चंद जज़्बात रख दे।

यूं लगने लगेगा सफ़र मुझको आसां
ज़रा दूर तक हाथ में हाथ रख दे।

शजर जिस्म का तू सुलगने से पहले
मेरी ख़ुश्क आँखों में बरसात रख दे।

(शजर = पेड़)

समझ आएगा फ़ल्सफ़ा ज़िन्दगी का
कहानी में तू मेरे हालात रख दे।

नहीं मांगता मैं दुआ में कभी कुछ
मेरी मुट्ठियों में तू इफ़रात रख दे।

(इफ़रात = अधिकता/प्राचुर्य)

भटकने लगूं मैं जो राहे ख़ुदा से
ज़ेहन में मुक़द्दस ख़यालात रख दे।

(मुक़द्दस = पवित्र)

- विकास वाहिद

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