बात ज्यों कि त्यों खड़ी है क्या कहें, किससे कहें
सबको बस अपनी पड़ी है, क्या कहें,किससे कहें
है तकाज़ा संतुलन का पर यहाँ तो हर जगह
आरज़ू कद से बड़ी है,क्या कहें, किससे कहें
अपशकुन आरंभ ही में हो गया है दोस्तों
बाकि पूरी इक लड़ी है क्या कहें, किससे कहें
प्यार का इक फूल था पर पास अपने अब फ़क़त
एक सूखी पंखुड़ी है, क्या कहें, किससे कहें
मुद्दतों से पक्ष दोनों मन से तो तैयार हैं
बस पहल पर ही अड़ी है, क्या कहें, किससे कहें
कूप तो पानी को तरसें और दरियाओं में रोज
मेघ कि लगती झड़ी है,क्या कहें, किससे कहें
- हस्तीमल हस्ती
सबको बस अपनी पड़ी है, क्या कहें,किससे कहें
है तकाज़ा संतुलन का पर यहाँ तो हर जगह
आरज़ू कद से बड़ी है,क्या कहें, किससे कहें
अपशकुन आरंभ ही में हो गया है दोस्तों
बाकि पूरी इक लड़ी है क्या कहें, किससे कहें
प्यार का इक फूल था पर पास अपने अब फ़क़त
एक सूखी पंखुड़ी है, क्या कहें, किससे कहें
मुद्दतों से पक्ष दोनों मन से तो तैयार हैं
बस पहल पर ही अड़ी है, क्या कहें, किससे कहें
कूप तो पानी को तरसें और दरियाओं में रोज
मेघ कि लगती झड़ी है,क्या कहें, किससे कहें
- हस्तीमल हस्ती
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