Tuesday, February 13, 2018

जब चाहें तसव्वुर में गले तुझको लगा लें
हम रस्म-ए-मुलाक़ात के पाबन्द नहीं हैं
-शायर: नामालूम

(तसव्वुर = ख़याल, विचार, याद)

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