फिर न मन में कभी मलाल आया
नेकियाँ जब कुएँ में डाल आया।
होड़ सी लग रही थी जाने क्यूँ
मैं तो सिक्का वहाँ उछाल आया।
आज हम भी जवाब दे बैठे
बज़्म में फिर बड़ा उबाल आया।
फ़न की बारीकियाँ समझने का
उम्र के बाद ये कमाल आया।
फेर लीं आपने निगाहें जब
आज दिल में बड़ा मलाल आया।
इक ज़माने से ख़ुद परेशाँ थे
आज तबियत में कुछ उछाल आया।
'आरसी' झूठ जब नहीं बोला
आइने में कहाँ से बाल आया।
-आर. सी. शर्मा “आरसी”
नेकियाँ जब कुएँ में डाल आया।
होड़ सी लग रही थी जाने क्यूँ
मैं तो सिक्का वहाँ उछाल आया।
आज हम भी जवाब दे बैठे
बज़्म में फिर बड़ा उबाल आया।
फ़न की बारीकियाँ समझने का
उम्र के बाद ये कमाल आया।
फेर लीं आपने निगाहें जब
आज दिल में बड़ा मलाल आया।
इक ज़माने से ख़ुद परेशाँ थे
आज तबियत में कुछ उछाल आया।
'आरसी' झूठ जब नहीं बोला
आइने में कहाँ से बाल आया।
-आर. सी. शर्मा “आरसी”
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