Monday, June 11, 2018

क्या इक दरिया अपना पानी चुन सकता है

क्या इक दरिया अपना पानी चुन सकता है
पानी भी क्या अपनी रवानी चुन सकता है

जीना है दुनिया में दुनिया की शर्तों पर
कौन क़फ़स में दाना-पानी चुन सकता है

(क़फ़स = पिंजरा)

दिल तो वो दीवाना है जो मह़फ़िल में भी
अपनी मर्ज़ी की वीरानी चुन सकता है

छोड़ दिया है मैंने दर-दर सजदा करना
तू कोई दीगर पेशानी चुन सकता है

मैंने तो ख़त में लिक्खे हैं अपने मआ’नी
वो इस ख़त में अपने मआ’नी चुन सकता है

जीना ही जब इतना मुश्किल है तो कोई
कैसे मरने की आसानी चुन सकता है

हर किरदार को चुन लेती है उसकी कहानी
क्या कोई किरदार कहानी चुन सकता है

- राजेश रेड्डी

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