Sunday, June 30, 2019

मंज़र गुज़िश्ता शब के दामन में भर रहा है
दिल फिर किसी सफ़र का सामान कर रहा है

है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को
कितना सफ़र हुआ है कितना सफ़र रहा है

-शहरयार

 (गुज़िश्ता = भूतकाल, बीता हुआ), (शब = रात)

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