Tuesday, July 2, 2019

मैं ख़ाक में मिले हुए गुलाब देखता रहा
और आने वाले मौसमों के ख़्वाब देखता रहा

किसी ने मुझ से कह दिया था ज़िंदगी पे ग़ौर कर
मैं शाख़ पर खिला हुआ गुलाब देखता रहा

-अफ़ज़ाल फ़िरदौस

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